( Continued from previous post dated, Friday, April 13, 2012, Shayari on Dr. Babasaheb Ambedkar Part 1 Please see that post for more shayari )
भारतरत्न महामानव बोधिसत्व डॉ. भिमराव आंबेडकर की १२५ वि वर्षगांठ के अवसर पर आप सभी को दिलसे बहोत बहोत शुभकामनाएं ।
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कभी कम ना होंगी तारीफें आपकी,
हमारी सारी पिढिया आपको नतमस्तक होंगी ।
"जय भिम" का यह नारा,
पुरी दुनिया में बुलंद करेगी ।
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हमला चाहे जैसा होगा,
हाथ हमारा नहीं उठेगा।
हम भिम - बुद्ध के अनुयायी हैं,
कलम हमारी पहचान है ।
हिंसा हमारा "धम्म" नहीं
हम भिम - बुद्ध के अनुयायी हैं ।
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मेरे भिम का लिखा पढ़ेगा,
तो खून खौल जाएगा।
सच्चा "देशभक्त" कोन,
ये सच तु समझ जाएगा।
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तेरे "अधिकार" की बात,
न तिलक ने की न गांधी ने की।
वो हम सब का बाप भिमराव आंबेडकर था,
जिसने "समान - अधिकार" की बात की।
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स्वतंत्रता क्या होती है?
समानता क्या होती है?
स्वाभिमान क्या होता है?
जीना क्या होता है?
यह तो सिर्फ मेरे "भिमने" बताया ,
स्वतंत्रतासे समानता और स्वाभिमान से जीना क्या होता है।
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दारू पिउन सडलास रे तु ,
प्रज्ञा - शील - करूणा
विसरलास रे तु .
लाज वाटुदे "जय भिम" म्हणतांना ,
जुगारात स्वाभिमान हरलास रे तु .
माझ्या "काही" समाज बांधवांनो दारू-जुगार सोडा.
तो पैसा शिक्षणात-पुस्तकात खर्च करा.
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पंचशीलाचे पालन करू ,
अष्टांग मार्गाने पुढे चालू .
तथागताच्या विचाराने,
सारा भारत "बुद्धमय" करु.
जय भिम जय बुद्ध जय भारत
-----> उपरोक्त सभी मेरी सोच ओर मेरी खुदकी लिखावट हैं।
आपका दोस्त ,
कुणाल अर्जुन मोरे
जय भिम जय बुद्ध जय भारत
कोई चीखकर चला गया,
कोई चील्लाकर चला गया,
तो कोई स्कूलमे सबक सीखकर चला गया |
अरे "रामजी का बेटा"स्कूल के बाहर रहा
और
पूरे भारत की तकदीर लीखकर चला गया ।
जय भीम
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कोणी म्हणतोय ठाण्याचा राजा
कोणी म्हणतोय पुण्याचा राजा
तर कोणी म्हणतोय लालबाग चा राजा
अरे आम्ही म्हणतो
ज्याचा
साऱ्या
जगात
गाजावाजा
"भीमराव एकच राजा"
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दणका दिला कोर्टान,
दार उघडलं देवान ,
एक ही पुरूष नव्हता महिलांच्या बाजुनं,
कोर्टात उत्तर दिल सरकारनं
कारण,
घटनेत समान अधिकार दिलाय
"माझ्या भिमानं"
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"डोळ्यातुन निघणार्या अश्रुनां आज मुभा आहे,कारण प्रत्येक गरिबाच्या मागे माझा भीम खंबीरपणे उभा आहे…
जय भिम
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मला डोक्या वरती ना ताज पाहिजे,
ना दुनिया वरती राज पाहिजे,
मला फ़क्त येत्या 14 एप्रिल ला माझा सारा समाज एक पाहिजे.
🙏 जय भीम 🙏
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गिरे हुवे को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था,
जिन्होंने हम सब को तुफान से टकराना, सिखाया था,
देश का था वो अनमोल रत्न जो बाबासाहेब केहलाया था।
जय भिम
होसला बुलंद रखेंगे तो
वक्त भी रुक जायेगा…. !
कहते थे मेरे बाबासाहेब
अगर एक साथ रहोगे तो
इन्सान क्या चीज है…!
तुम्हारे आगे आसमान
भी झुक जायेगा....!
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भारतरत्न महामानव बोधिसत्व डॉ. भिमराव आंबेडकर की १२५ वि वर्षगांठ के अवसर पर आप सभी को दिलसे बहोत बहोत शुभकामनाएं ।
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कभी कम ना होंगी तारीफें आपकी,
हमारी सारी पिढिया आपको नतमस्तक होंगी ।
"जय भिम" का यह नारा,
पुरी दुनिया में बुलंद करेगी ।
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हमला चाहे जैसा होगा,
हाथ हमारा नहीं उठेगा।
हम भिम - बुद्ध के अनुयायी हैं,
कलम हमारी पहचान है ।
हिंसा हमारा "धम्म" नहीं
हम भिम - बुद्ध के अनुयायी हैं ।
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मेरे भिम का लिखा पढ़ेगा,
तो खून खौल जाएगा।
सच्चा "देशभक्त" कोन,
ये सच तु समझ जाएगा।
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तेरे "अधिकार" की बात,
न तिलक ने की न गांधी ने की।
वो हम सब का बाप भिमराव आंबेडकर था,
जिसने "समान - अधिकार" की बात की।
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स्वतंत्रता क्या होती है?
समानता क्या होती है?
स्वाभिमान क्या होता है?
जीना क्या होता है?
यह तो सिर्फ मेरे "भिमने" बताया ,
स्वतंत्रतासे समानता और स्वाभिमान से जीना क्या होता है।
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दारू पिउन सडलास रे तु ,
प्रज्ञा - शील - करूणा
विसरलास रे तु .
लाज वाटुदे "जय भिम" म्हणतांना ,
जुगारात स्वाभिमान हरलास रे तु .
माझ्या "काही" समाज बांधवांनो दारू-जुगार सोडा.
तो पैसा शिक्षणात-पुस्तकात खर्च करा.
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पंचशीलाचे पालन करू ,
अष्टांग मार्गाने पुढे चालू .
तथागताच्या विचाराने,
सारा भारत "बुद्धमय" करु.
जय भिम जय बुद्ध जय भारत
-----> उपरोक्त सभी मेरी सोच ओर मेरी खुदकी लिखावट हैं।
आपका दोस्त ,
कुणाल अर्जुन मोरे
जय भिम जय बुद्ध जय भारत
कोई चीखकर चला गया,
कोई चील्लाकर चला गया,
तो कोई स्कूलमे सबक सीखकर चला गया |
अरे "रामजी का बेटा"स्कूल के बाहर रहा
और
पूरे भारत की तकदीर लीखकर चला गया ।
जय भीम
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कोणी म्हणतोय ठाण्याचा राजा
कोणी म्हणतोय पुण्याचा राजा
तर कोणी म्हणतोय लालबाग चा राजा
अरे आम्ही म्हणतो
ज्याचा
साऱ्या
जगात
गाजावाजा
"भीमराव एकच राजा"
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दणका दिला कोर्टान,
दार उघडलं देवान ,
एक ही पुरूष नव्हता महिलांच्या बाजुनं,
कोर्टात उत्तर दिल सरकारनं
कारण,
घटनेत समान अधिकार दिलाय
"माझ्या भिमानं"
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"डोळ्यातुन निघणार्या अश्रुनां आज मुभा आहे,कारण प्रत्येक गरिबाच्या मागे माझा भीम खंबीरपणे उभा आहे…
जय भिम
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मला डोक्या वरती ना ताज पाहिजे,
ना दुनिया वरती राज पाहिजे,
मला फ़क्त येत्या 14 एप्रिल ला माझा सारा समाज एक पाहिजे.
🙏 जय भीम 🙏
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गिरे हुवे को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था,
जिन्होंने हम सब को तुफान से टकराना, सिखाया था,
देश का था वो अनमोल रत्न जो बाबासाहेब केहलाया था।
जय भिम
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चांद की चांदनी
ने हमे जय भीम
कर के सुलाया है ।
सुबह की हवाओ ने
हमे जय भीम कर के जगाया है ।
क्यू झुकाये अपना सिर
किसी पत्थर के सामने?
क्यूकी मेरे बाबा साहब ने
स्वाभिमान से जीना सिखाया है ।
🙏जय भीम🙏